किताब के इस पन्ने पर
और भी ज्यादा उस पन्ने पर
जो उलटकर है आराम पर
देश में कोई ऐसा नही शिविर
जहाँ इस उन्मुक्त किताब खोलकर
एक - एक शब्द पढ़ सके
इस समाज की बुराई को देख सके !!
दीपक जैसे जलने वाली
छोटे बच्चो की आत्मायो का
प्रियाव कह क्र तिमिरांचल लगाये
अनुराग - राग गाकर, अभिषेक तिलक लगाये
रख लेते है शोषण का कोट पहनाये !
खेलने कुदने के दिन वालो से
निर्द्वंद अपनी शरण में छोटी रैयत से
रखते है अपना काम चलाये !!!!!!!
1 comments:
सुंदर लिखा आपने..... आपके ब्लॉग पर गिटार बजाता बच्चा मजेदार लगा
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