Saturday, January 19, 2013

गरीबी से प्रताड़ित


उस गरीबी से प्रताड़ित
ठेकेदार कि नौकरानी
सड़क पर रोड़े उठाती हुई
बच्चे को गले से लगाती हुई
फटी चुनरी को तान
सूरज से छुपके उसे सुलाती हुई
उस बोतल में गर्म पानी को
जीवन - अमृत समान पिलाये जाती है !
एक पल रुक कर
माथे से पशीना हटाती हुई
जब सूरज को वो देखा करती है
उसके मन में एक ठिस सी उठ जाती है !
चार पहर का खाना खा
उन पत्थरों को हटाने से
गरीबी मिट जायेगी
शायद ये आशा पाले
अपने को तरोताजा बना लेती है !
दिन भर कि हड - तोड़ी मेहनत के बाद
ठेकेदार कि डांट खा
सिर पे बठ्ले में बच्चे को बेठा
थकी - हारी घर को जाती है !
घर पर उस शराबी पति के तानाशाही में
डांट - थपड खा
खुद भूखी रह कर, उसे भर पेट खिलाती है !
सास - ससुर को दवा - दारू पिला कर
अपनी टूटी खटिया पर जा कर
शायद अब पल भर का आराम मिले
इसी ख़ुशी के आंशुयो को
मेली - चुनरी से साफ करती हुई
अकेले कि सो जाती है !!


दीपक कुमार वर्मा  

Funny English Teacher From India

Thursday, June 30, 2011

क्या आप भी बड़े हो गये हो ?

दोस्तों,
            पहले तो इतने दिन नरादर रहने के लिए सॉरी मांगता हु. आशा है की आपने माफ़ कर दिया है! अब बातो ही बातो में मुद्दे की बात करते है! पिछले सप्ताह अचानक से बड़ा हो गया क्यों कि घर वालो ने अचानक से शादी करने का विचार बना डाला! ऐसा लगता है कि कोई आर्मी कि बटालियन अपने मिसन पर है और ऐसा करने के लिए ऊपर से आर्डर आये हुए है! जब मेने टाइम माँगा तो जबाब आया कि अब तू बड़ा हो गया है हम और नही रुक सकते!
 जिस मम्मी के लिए मै कल तक बच्चा था उसके लिए मै बड़ा हो गया ये तो अजीब बात है ! अपने सुना है कि कोई रातो रात बड़ा हो जाये? हाँ इतना है कि वो रुपये में बड़ा बन सकता है पर उम्र में नही. अब घर वालो का तो कहना मानना पड़ेगा.
ये स्टोरी मेरी नही बल्कि उन तमाम भारतीयों कि है जो अपनी मम्मी पापा  कि सहमती से शादी के ख्याल रखते हो! जिसको अपनी पसंद बताने का मोका ही नही मिलता है, या भी वो बता नही सकते है! शादी आपको अपने पसंद से करनी है या फिर घर वालो कि पसंद से!
सोच कर जबाब देना कि ऐसा क्यों होता है ?

Wednesday, June 15, 2011

छोटे बच्चो की आत्मायो

किताब के इस पन्ने पर 
और भी ज्यादा उस पन्ने पर 
जो उलटकर है आराम  पर
देश में कोई ऐसा नही शिविर 
जहाँ इस उन्मुक्त किताब खोलकर 
एक - एक शब्द पढ़ सके 
इस समाज की बुराई को देख सके !!

दीपक जैसे जलने वाली 
छोटे बच्चो की आत्मायो का 
प्रियाव कह क्र तिमिरांचल लगाये 
अनुराग - राग गाकर, अभिषेक तिलक लगाये 
रख लेते है शोषण का कोट पहनाये !
खेलने कुदने के दिन वालो से 
निर्द्वंद अपनी शरण में छोटी रैयत से 
रखते है अपना काम चलाये !!!!!!! 

Friday, April 22, 2011

मंदिर में जब मै गया

मंदिर में जब मै गया 

वहाँ तू तो नहीं पाया 
पत्थर कि उस मूर्ति में 
सिर्फ रूप ही तो  तेरा था 
वहां रब तो किसी और को पाया !

तुझे कब से ढोल - नगाड़े भाने लगे रबा 
कही तो हो गया है बहरा 
या छुप ह्या किसी कोने में रबा 
वो तेरा भक्त लाउडस्पीकर से तुझे बुला रहा था !
या फिर दुनिया को दिखा रहा था 
वो पूजता है तुझे मेरे रबा !

जब भी मैने तुझको याद किया दिल से 
मेरे को तो तुने सुनता ही पाया 
फिर क्यों इनके प्रति बदल गया मेरे रबा 
या फिर वो नही जानते 
कण - कण में, उनके दिल में बसा है 
उनका गुरु, अल्ला , मसीहा और रबा !! 




है महान जो वकील कहलाये करते है !!



उस इंसान के गलियारे में 
है जिसमे इतनी हिम्मत की
झूठ को झूठ, सांच को सांच के 
दाव पंचो से सिद्ध किया करते है 
है महान जो वकील कहलाते है !

आज मेरे इस स्वार्थी समाज में 
है नहीं इतनी दिल्लगी 
कही जो सांच जो 
उसे इस झूठ से बचा सके 
और 
करे जो समाज के खिलाफ ! 
बिना कुछ पाप किये 
उनके पापो की सजा दिला सके 
महान है वो जो हिम्मत रखते है 
निस्वार्थ, निशंकोच, निडर उसने 
पूर्व जन्म में कुछ अच्छा किया होगा 
जो ठेकेदार न होकर भी 
इस समाज को बनाये रखते है 
है वो महान जो वकील कहलाते है !

देते है वो पापी का साथ 
सिर्फ उसके पाप को ही 
अच्छे को बचा कर बुरे को 
नकाब बिन सामने ला सके 
बुरा ना कहो उन दिलवालों को 
दीपक तो उनसे प्यार किया करते है
है महान जो वकील कहलाये करते है !!
                        दीपक कुमार वर्मा 
                         9214012330