Friday, April 22, 2011

मंदिर में जब मै गया

मंदिर में जब मै गया 

वहाँ तू तो नहीं पाया 
पत्थर कि उस मूर्ति में 
सिर्फ रूप ही तो  तेरा था 
वहां रब तो किसी और को पाया !

तुझे कब से ढोल - नगाड़े भाने लगे रबा 
कही तो हो गया है बहरा 
या छुप ह्या किसी कोने में रबा 
वो तेरा भक्त लाउडस्पीकर से तुझे बुला रहा था !
या फिर दुनिया को दिखा रहा था 
वो पूजता है तुझे मेरे रबा !

जब भी मैने तुझको याद किया दिल से 
मेरे को तो तुने सुनता ही पाया 
फिर क्यों इनके प्रति बदल गया मेरे रबा 
या फिर वो नही जानते 
कण - कण में, उनके दिल में बसा है 
उनका गुरु, अल्ला , मसीहा और रबा !! 




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