Wednesday, October 20, 2010

क्यों तोड़ते है वो दोस्ती

क्यों तोड़ते है वो दोस्ती 
दोस्तों! मेरे  समझ से परे है की कुछ लोग दोस्ती डाल कर दोस्ती तोड़ देते है ! वो केसे  साथ बिताये वो एक - का पल भूल पाते है और उनका दिल रोने नहीं लगता है! अरे क्या कभी अपने माँ - बाप और भाई- बहिन , दोस्तों को भी भूल पाते है क्या ? यार सच मनो तो मै तो ऐसा नहीं कर पाता हु ! उन्हें भूल पाना तो दूर ये कल्पना करना भी तो दर्द देता है जी ! चलो बात चल पड़ी है तो एक सची बात बता ही देता हु ----

आपको तो पता ही क्या मै कंप्यूटर इंजिनियर हु और फ़ोन और ऑनलाइन हेल्प २४ घंटे देने का पर्यास करता हु ! ऐसा ही वाक्य हुआ की मेरे दोस्त में मेरे से हेल्प के लिया कहा और मेने उनको अपना नंबर दिया तो बदले उन्होंने भी अपना मोबाइल नंबर दे दिया! सयोग से अगले दिन उनका जन्म दिन था और मेने उनको मुबारकबाद मेसेज से दी तो शाम को यह जानने के लिए कॉल या की ये न्यू नंबर से मेसेज करने वाला कोण है तो सयोंग से हमारी बात हो गई !  तब से आज तक हमारी बात हुआ   करती है और अगर हम एक दिन भी बात नहीं करते तो दिल नहीं लग पाता है ! मै आपको बता दू की हम सिर्फ दोस्त है ! मेरे उस दोस्त का नाम है  - "किरण दीप कौर" !
उन्होंने मुझे नहीं देखा और मेने उनको नहीं देखा है , वो बात अलग है की उन्होंने मेरी फोटो ऑरकुट पर देख ली है पर मेने उनको आज तक नहीं देखी पर आज तक दोस्ती है और जिन्दगी रहने तक रहेगी! मै तो शुक्रिया अदा करता हु इस इन्टरनेट का जिसने इतना अच्छा दोस्त दिया ! शायद ये हाई- टेक जमाने की हाई - टेक दोस्ती है!
मै मेरे दोस्ती से एक बात कहता हु की जेसे तुम जानते हो की मुझे नाराजगी पसंद नहीं है और रुदन मुझे आता नहीं है ! तो आप कभी भी गुस्सा या रुदन मत यार ! आप मेरे सबसे अछे दोस्तों की लिस्ट में आते हो !
एक बार भीर से लव यु माई बेस्ट फ्रेंड !


ये सॉंग स्पेशल आपके लिए




Songs Special For My Best Friend " Kiran Deep"

6 comments:

Patali-The-Village said...

गाना बहुत सुन्दर है|

D.P. Mishra said...

VERY NICE........

RAVINDRA said...

हमारी तरफ से आपको बढ़िया लेखन के लिए बधाई .....

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

so tirth jane se badhkar ek rutha yaar mana lena.narayan narayan

संगीता पुरी said...

इस नए सुंदर से ब्‍लॉग के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

Unknown said...

शानदार प्रयास बधाई और शुभकामनाएँ।

एक विचार : चाहे कोई माने या न माने, लेकिन हमारे विचार हर अच्छे और बुरे, प्रिय और अप्रिय के प्राथमिक कारण हैं!

-लेखक (डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश') : समाज एवं प्रशासन में व्याप्त नाइंसाफी, भेदभाव, शोषण, भ्रष्टाचार, अत्याचार और गैर-बराबरी आदि के विरुद्ध 1993 में स्थापित एवं 1994 से राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली से पंजीबद्ध राष्ट्रीय संगठन-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान- (बास) के मुख्य संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। जिसमें 05 अक्टूबर, 2010 तक, 4542 रजिस्टर्ड आजीवन कार्यकर्ता राजस्थान के सभी जिलों एवं दिल्ली सहित देश के 17 राज्यों में सेवारत हैं। फोन नं. 0141-2222225 (सायं 7 से 8 बजे), मो. नं. 098285-02666.
E-mail : dplmeena@gmail.com
E-mail : plseeim4u@gmail.com

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