Tuesday, October 12, 2010

मेरे अध्यापक जिन्हें मै भुला नहीं पाता 1

मेरे अध्यापक जिन्हें मै भुला नहीं पाता
वेसे तो जिन्दगी मे जो मिलते है उन्हें भी नहीं भुलाया जाता है , वो नही किसी ने किसी मोड़ पर याद आ ही जाते है ! चाहे वो दोस्त हो या नही भी हो ! मैं आज मेरे ऐसे गुरु जनों की यादे आपको बताता हु जिनसे मैंने जिन्दगी जीना भी नहीं ब्लकि उससे भी बढ कर सिखा है ! मैं मेरे सभी गुरु जनों को सदर नमस्कार करता हु! आज जो लिखने जा रहा हु वो मेरी डायरी में भी लिखा हुआ नहीं है !

शास्त्री जी :- माफ़ की जियेगा, मै आपका नाम सही तरह से नहीं जनता हु ! पर जिस समय आपने मुझे जिन्दगी का पाठ सिखाया उस समय मै पांचवी में था ! यानि की मै आपसे क्लास 1 से ५ वी तक पड़ा था ! मुझे हिंदी बोलनी और पड़नी नहीं आती थी पर आप मुझे क्लास में होंशियार मानते थे ! मुझे याद नहीं है की आपने मुझे कभी पिटा हो , बल्कि आपने तो मेरा पेपर गलत होने पर मेरे पास बेठ कर कॉपी जांची थी और गलतिय बताई थी ! मैं नहीं जानता की आप इस समय इस दुनिया में हो या नहीं क्योकि आप उस समय ५० के आस पास थे और यह बात सिरसा (हरियाणा) के चक्का गाव के राजकीय प्राथमिक स्कूल की है - १९८८ के लगभग बात है ! मैरे ये भी याद है के पांचवी में हम टयूसन के लिए आपके आते थे और आपके १५० /- भी मेने अभी तक नहीं दिए है ! आप महान लोगो में से थे - आपको गुस्सा आया था आज भी याद नहीं है, आपका पढाने का तरीका सबसे अलग था !आपका वो लम्बा कुरता पजामा पहनना ! सर पर कम पर सफ़ेद बाल थे , हा कंही कंही काले भी नजर आ जाते थे ! मैं आपका हमेशा ही आपको याद कर सोचता हु की मैं अब आपसे कहाँ मिल सकता हु ! लेकिन जहाँ भी मिलुगा आपको टयूसन की बाकि फ़ीस जरुर दुगा !

सुरजीत जी :- मै उस स्कूल में दुसरे अध्यापको का नाम याद नहीं आ रहे है , वो भी सभी अच्छे थे ! हा याद आया - सुरजीत जी  जिनसे मैं दो साल पहले की स्कूल में मिल कर आया हु !जब मै अब दो साल पहले स्कूल में गया तो मेरे को जाते ही पहचान लिया था - उन्होंने कहा था की मै उनसे पड़ा हाउ हु पर उनके नाम याद नहीं रहा ! वो स्कूल के प्रधानाध्यापक थे और अब भी है (सिरसा (हरियाणा) के चक्का गाव के राजकीय प्राथमिक स्कूल  में ) हाँ आपको कभी कभी गुस्सा जरुर आता था और आपने मुझे एक दो बार पिटा भी है पर उस पिटाई को याद कर मै आज ख़ुशी से झूम उठता हु की वो भी हमारे दिन थे ! मै आपसे दुबारा  जरुर मिलुगा ! 
मै आपको बता दू की प्राथमिक स्कूल  में किस तरह का विदार्थी था - मै गणित में क्लास का मोनिटर रहा हु पर दुसरे सुब्जेक्ट में नील रहा हु ! एक बार तो मै योगा में नहीं होते हुए भी टीम के साथ खेलने गया था ! किस्मत ने साथ दिया और किसी दुसरे स्कूल की योगा टीम नही थी तो हम बिना खेले ही विजेता बन गए और मैं पकड़ा नहीं गया ! लेकिन मै सकूल में अच्छे लडको की लिस्ट का था ! मै जब आज भी गाव जाता हु तो वो स्कूल देख कर उन्ही दिनों की यादो में चला जाता हु ! उस स्कूल का विकास जरुर हुआ है पर उस स्कूल से जुडी मेरी यादो का नही ! बाद में मै खाजूवाला पड़ने के लिए आ गया था और यही पर डिग्री ले कर मै आज कम्प्यूटर इंजिनियर बन गया हु !
                                                                                   यादे  कल भी जरी रहेगी ..............................







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