Monday, October 25, 2010

आप कहाँ ले जा रहे है...........

सरकार बहुत बार इसकी रूप रेखा बदल चुकी है और चाह कर भी अपनी सीमा से बहार नहु निकल सकी और जो बदलाव वो लानी चाहती है उसमे कामयाब नहीं हुई ! आखिर क्यों ? जबाब देते नहीं बन रहा है ! मै बात कर रहा हु एजुकेसन सिस्टम को बदलने कि जिससे जो पोध तैयार कि जा रही हे वो स्कूल से इतनी एक्सपोर्ट होकर निकले कि आगे प्रोफेसनल बनाते टाइम न लगे ! चाहे वो कोई भी फिल्ड हो !
हमारी कुछ कमी है कि हम पुराने को नही भूल पाते और पुराना याद रखने के चकर में नया नहीं कर पाते ! मानते है कि पुराना जरुरी है पर इतना भी जरुरी नहीं है कि आप कक्षा छ से लगातार छ साल तक एक ही चीज पड़ते रहे वो "हल्दी घाटी युध्द " ! या प्रेमचंद का " गोदान" ! इसकी जगह किसी और को भी दी जा सकती है ! कुछ नया भी किया जा सकता है पर हम तो हम है न ! अगर कुछ कर गुजरना है तो किसी न किसी को कुछ नया करने कि पहल करनी ही पड़ती है ! पर क्या करे साहब हमारे अंतिम निर्णय तो एक "अनपढ़" आदमी जिसे हम नेता कहते है के हाथ में है तो कुछ करना चाहकर भी नहीं कर सकते है जी !
चलो आयो हम मिल कर पहल तो करके देखे "अनपढ़" कुछ समझ जाये जी ------------------

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